• Nakoda Ji Jain Tirth

Jai Jinendra Sa

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Mulnayak

Shree Nakoda Parsvanath

We have an idol of Mulnayaka Shri Parshvanath Bhagavan. It is black in complexion, 58 cms in height and in Padmasana posture. The idols is extremely charming and miraculous. The main idol is that of Shri Nakoda Parsvanath. This statue was brought here from the village Nakoda which is near Sinduri., hence the place is called Nakoda Parsvanath temple. But this alone is not the attraction of the temple.
The idol of Shri Nakoda Bheruji was installed by Acharya Shri Vijay Himachal Suri who also established idols of other Teerthankars in this temple.

Details

Shree Nakoda Parsvanath

Shree Nakoda Bhairav

Shree Kala Bhairav

Navkar Mantra

णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं,

णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं,

एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पाव-प्पणासणो।

मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं॥

Mandir Timings


Summer – 5:30 AM to 10 PM
Winter – 6 AM to 9:30 PM

Pakshal Timings


Summer – 8:00 AM
Winters – 8:30 AM

Aarti Timings


Morning – 10:30 AM
Evening – According to Sunset

Bhojanshala Timings

Breakfast – 7:30 AM to 9:00 AM
Lunch – 11:00 AM to 01:30 PM
Dinner – 5:00 PM to SUNSET

Shree Jain Shwetambar Nakoda Parshvanath Tirth

History

किदवंतियों के आधार पर श्री जैन श्वैताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ की प्राचीनता का उल्लेख महाभारत काल यानि भगवान श्री नेमीनाथ जी के समयकाल से जुड़ता है, किन्तु आधारभूत ऐतिहासिक प्रमाण से इसकी प्राचीनता वि. सं. 200-300 वर्ष पूर्व यानि 2200-2300 वर्ष पूर्व की मानी जा सकती है । श्री जैन श्वैताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ राजस्थान के उन प्राचीन जैन तीर्थों जो 2000 वर्ष से भी अधिक समय से इस क्षेत्र की खेड़पटन एवं महेवानगर की ऐतिहासिक समृद्धि एवं सांस्कृतिक धरोहर की श्रेष्ठता के प्रतीक है । महेवानगर ही पूर्व में वीरमपुर नगर के नाम से प्रसिद्ध था । वीरमसेन ने वीरमपुर तथा नाकोरसेन ने नाकोडा नगर बसाया था । आज भी बालोतरा- सीणधरी हाईवे पर नाकोडा ग्राम लूनी नदी के तट पर स्तिथ है, जिसके पास से ही इस तीर्थ के मूलनायक भगवान श्री पार्श्वनाथजी की प्रतिमा प्राप्त हुई,जो यंहा प्रतिष्ठित की गई और तब से यह तीर्थ नकोडाजी के नाम से विश्व विख्यात है। मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा की प्रतिष्ठा तीर्थ के संस्थापक आचार्य श्री जिन कीर्तिरत्न्सूरिजी द्वारा वि. स. 1502 में करवाई गई थी। यंहा की अन्य प्रतिमाओं में से कुछ सम्राट अशोक के पौत्र सम्प्रति राजा के काल की है व कुछ पर वि.स. 1090 व 1205 का उल्लेख हैं। ऐसा भी उल्लेख प्राप्त होता है कि सवंत् 1500 के आस-पास वीरमपुर मे 50 हजार की आबादी थी और ओसवाल जैन समाज के यंहा पर 2700 परिवार रहते थे। व्यापार एवं व्यवसाय की दृष्टि से वीरमपुर नगर (वर्तमान मे नाकोडा तीर्थ) इस क्षैत्र का प्रमुख केन्द्र रहा था।

Parshvanatha Dada - Aarti

जय जय आरति आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नंदा ।।1।।
पहेली आरति पूजा कीजे, नरभव पामीने लाहो लीजे ।।2।।

Parshvanatha Dada - Mangal Divo

दीवो रे दीवो रे प्रभु मंगलिक दीवो रे,
आरती उतारण बहु चिरंजीवो रे,

Nakoda Bheruji - Aarti

ॐ जय जय जयकारा, वारी जय जय झंकारा,
आरति उतारो भविजन मिलकर, भैरव रखवाला,

Shree Parshvanatha Chalisa

शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करुं प्रणाम |
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम |

Shree Paras Ektisa

पारस प्रभु के चरणों मैं, निशदिन करू प्रणाम |
मन वंचित पुरो प्रभु, श्याम वर्ण सुखधाम || १ ||

Nakoda Bhairav Magical Stuti

श्री संखेश्वर के दर्शन कर पुजू गोडीजी पाय |
श्री नाकोडा से नवनिधि मिले दर्शन से दुःख जाये || 1 ||

Nakoda Bhairav Prathna

आवोजी आवो भैरवनाथ, ओ नाकोडा वाले |
तुम हो डूंगरीया वाले, तुम हो घूँघरीया वाले ||

Nakoda Bhairav - Aaj Ravivar

आज रविवार है , भैरव तेरा वार है
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे, उसका बेडा पार है

Nakoda Parshvanatha Mantra

।। ॐ ह्रीं श्रीं नाकोड़ा पार्श्वनाथ नमः ।।

Nakoda Bhairav Mantra

।। ॐ ह्रीं श्रीं नाकोड़ा भैरवाय नमः ।।